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Rani Sati Ji Ki Aarti रानी सती जी की आरती


रानी सती जी को समर्पित झुंझुनू का ये मंदिर 400 साल पुराना है। यह मंदिर सम्मान, ममता और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। देश भर से भक्त रानी सती मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। भक्त यहां विशेष प्रार्थना करने के साथ ही भाद्रपद माह की अमावस्या पर आयोजित होने वाले धार्मिक अनुष्ठान में भी हिस्सा लेते हैं। पौराणिक इतिहास से ग्यात होता है की महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह में वीर अभीमन्यु वीर गति को प्राप्त हुए थे | उस समय उत्तरा जी को भगवान श्री कृष्णा जी ने वरदान दिया था की कलयुग में तू “नारायाणी” के नाम से श्री सती दादी के रूप में विख्यात होगी और जन जन का कल्याण करेगी, सारे दुनिया में तू पूजीत होगी | उसी वरदान के स्वरूवप श्री सती दादी जी आज से लगभग 715 वर्ष पूर्वा मंगलवार मंगसिर वदि नवमीं सन्न 1352 ईस्वीं 06.12.1295 को सती हुई थी |

जय श्री रानी सती मैया, जय श्री रानी सती |
अपने भक्त जनों की दूर करने विपत्ति || जय

अवनि अनवर ज्योति अखंडित मंडित चहुँ कुकुमा |
दुर्जन दलन खंग की विद्युत् सम प्रतिभा || जय

मरकत मणि मन्दिर अति मंजुल शोभा लाख न परे |
ललित ध्वजा चहुँ और कंचन कलस धरे || जय

घंटा घनन घडावल बाजे शंख मृदंग धुरे |
किंनर गायन करते वेद ध्वनि उचरे || जय

सप्त मातृका करें आरती सुरगण ध्यान धरे |
विविध प्रकार के व्यंजन श्री भेंट धरे || जय
संकट विकट विडानि नाशनि हो कुमती |
सेवक जन हृदि पटले मृदुल करन सुमती || जय

अमल कमल दल लोचनि मोचनि त्रय तापा |
“शांति ” सुखी मैया तेरी शरण गही माता || जय

या मैया जी की आरती जो कोई नर गावे |
सदन सिद्धि नवनिधि फल मन वांछित पावें |


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